उत्तराखण्ड

नगला का फैसला व्यापारियों के हित में नहीं आया तो होगा उग्र आंदोलन: पनेरु

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नगला अवैध अतिक्रमण मामले में नगला बचाओ अभियान के बैनर तले चल रहा अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन मंगलवार को छठे दिन भी जारी रहा। धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए पूर्व दर्जा राज्य मंत्री हरीश पनेरु ने कहा कि यदि 12 अक्टूबर को कोर्ट का फैसला नगला के हित में नहीं आया तो वह नगला वाशियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उग्र आंदोलन छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि चाहे न्यायालय हो या सरकार जनता के हित के लिए काम करती है ना कि उन्हें उजाड़ने के लिए। कहा कि नगला वाशी विगत 50 वर्षों से यहां पर रह कर अपनी रोजी-रोटी छोटे-छोटे व्यवसाययों से चला रहे हैं। उन्हें अचानक से यूं बेघर करना या उजाड़ कर बेदखल करना किसी भी स्थिति में न्याय पूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा कि नगला में निवास करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक छोटे व्यवसाययों के पास वहीं पर आशियाना और वहीं पर व्यवसाय हैं संकट की स्थिति में उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है। क्योंकि उनके पास भारत की नागरिकता है अतः उन्हें बगैर उचित व्यवस्था के उजाड़ना बेहद अन्याय पूर्ण होगा। जिसे किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि नगला वीडियो के हित में फैसला नहीं आया और उन्हें उजाड़ने की साजिश हुई तो वह आंदोलनकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उग्र आंदोलन कर आर पार की लड़ाई करने के लिए वचनबद्ध हैं। इस दौरान आंदोलन के छठे दिन मंगलवार को भी भारी संख्या में महिलाएं पुरुष एवं बच्चे धरना स्थल पर पहुंचकर दिनभर धूप में बैठे रहे और सरकार और न्यायालय से न्याय की भीख मांगते रहे। सीरती देवी, जबर खान, पार्वती पांडे, दीपा बिष्ट आदि आंदोलनकारियों ने कहा कि कोर्ट का फैसला हमारे हित में नहीं आया और हमारे व्यवसाय व आशियाने एक साथ उजड़ गए तो हम यहीं अपने प्राण त्याग देंगे। क्योंकि हमारे पास कोई दूसरा चारा न रहने के लिए है और नहीं रोजगार के लिए। इसके बाद देर शाम को आंदोलन को उग्र रूप देने के लिए हजारों की संख्या में व्यापारियों एवं ग्रामीणों ने गोल गेट से नगला बाईपास तक मसाल जुलूस निकाला और आज दो अभी दो नगला वाशियों को न्याय दो न्याय दो के नारे लगाए। इस दौरान विरोध प्रदर्शन करने वालों में बोरा, रंभा, नीलम, सीमा राय, दीपा बिष्ट, सीमा साह, अरुणा, निर्मला विश्वास, लालमती, पूनम श्रीवास्तव, सोनाली दूबे, दीपा बिष्ट, राजवती, शारदा गुप्ता, पुष्पा, ईश्वरी देवी, विमला रावत, गेंदा देवी, हेमा जोशी, भानुमती, धर्मलाल यादव, सोनाली पांडे, हेमा पांडे, भगवती पांडे, सतीश अग्रवाल, जबर खान, धनोज, बाबूलाल, पन्नालाल, राजेन्द्र अग्रवाल, सचिन अग्रवाल, मुकेश वर्मा, धीरज वर्मा, प्रमोद बिष्ट, संजू बिष्ट, संजय शुक्ला, हरीश पाण्डे, केशर बिष्ट, त्रिलोकी, सुरेश वर्मा, रियासत अली, शौकत, कुन्दन बिष्ट, प्रमोद बिष्ट, जग्गू बिष्ट, संतोश दूबे व त्रिलोकी समेत सैकड़ो की संख्या में महिलाएं पुरुष एवं बच्चे धरने पर डटे रहे।