उत्तराखण्ड

डेरी व्यवसाय से अधिक आय के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने जरूरी

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जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थित जनरल विपिन रावत पर्वतीय शोध शिक्षणालय की ओर से डेरी पशुपालन पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें नैनीताल, चंपावत व ऊधमसिंह नगर के 45 प्रगतिशील डेरी पशुपालकों ने प्रतिभाग किया। मैनकाइंड फार्मा नई दिल्ली के सहयोग से वेटरिनरी कालेज सभागार में आयोजित संगोष्ठी में शिक्षाणालय निदेशक डाॅ. एएस जीना ने अथितियों का स्वागत करते हुए उसके उद्देष्य से परिचित कराया। अधिष्ठाता डाॅ. एसपी सिंह ने बताया कि डेरी व्यवसाय से अधिक आय अर्जित करने के लिए वैज्ञानिक तौर तरीके जरूरी हैं। डाॅ. बीसी मंडल ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए दुधारू पशुओं को संतुलित आहार जरूरी बताया। डाॅ. शिवप्रसाद ने दुधारू पशुओं में समय से गर्भधारण न करने, हीट पर न आने और व रिपीट ब्रीडिंग आदि पर व्याख्यान दिया। डाॅ. बीएन साही ने देशी प्रजाति के साहीवाल, गीर और थारपार्कर को भी यहां की जलवायु के उपयुक्त बताया। डाॅ. प्रणीता सिंह ने अधिक आय के लिए पनीर, लस्सी, मठ्ठा, कुल्फी और आईसक्रीम आदि बनाने की विधि पर चर्चा की। संयोजक डाॅ. राजीव रंजन कुमार ने दुधारू पशुओं में प्रमुख परजीवी रोगों जैसे बबेसियोसिस, थेलेरियोसिस, सर्रा, फैसियोलोसिस आदि के निदान की जानकारी देते हुए रोग संबंधी लक्षण दिखने पर गोबर व रक्त परीक्षण के बाद ही कृमिनाशक औषधियों के उपयोग की बात कही। डाॅ. आरके शर्मा ने किसानों के लिए पंतजा बकरी परियोजना से अवगत कराया। निदेशक शोध डाॅ. एएस नैन ने बताया कि प्रति पशु दुग्ध उत्पादन काफी कम है, जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा पशुपालक वैज्ञानिक पद्व्ति और समय-समय पर वैज्ञानिकों से परामर्श लेकर अधिक दुग्ध उत्पादन कर सकते हैं। प्रबंध परिषद् सदस्य विशाल राणा ने कहा कि पशुपालक और पशु वैज्ञानिक के बीच सामंजस्य से पशुपालन व्यवसाय का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। पूर्व विधायक नवीन दुम्का ने विवि की ओर से पशुपालकों की उन्नति के लिए समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किया जाना लाभप्रद बताया।