उत्तराखण्ड

नगला वासियों ने खाई नगला को नहीं छोड़ने की कसम

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 उजाड़ने की आकांक्षा में नगला अवैध अतिक्रमण मामले में दूसरे दिन भी नगला बाईपास से शांतिपुरी गेट तक स्टेट हाईवे के दोनों और व्यापारियों व ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी रहा। वहीं दोनों और बनी लगभग 400 दुकान बंद रहीं। साथ ही इस दूरी के बीच कच्चे पक्के मकान बनाकर गुजर बसर कर रहें सैकड़ों लोग ने नगला मुख्य बाजार के पास धरना प्रदर्शन कर शासन प्रशासन से उन्हें उजाड़ने की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की। इस दौरान दूसरे दिन शुक्रवार को भी धरना प्रदर्शन कर रहे नगला वासियों ने अपने संबोधन में कहा कि हम कई पीढियां से निवास कर रहे हैं इसलिए हम शपथ लेते हैं कि जज आए चाहे जिला अधिकारी बुलडोजर आए चाहे पुलिस बल हम मर जाएंगे मिट जाएंगे लेकिन नगला को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगे।

प्रदर्शन कार्यों को संबोधित करते हुए बुजुर्ग वक्ता बीवी मिश्रा, ज्ञानवती देवी, सोनाली दूबे व शारदा गुप्ता ने कहा कि हम लोग नगला में पिछले कई पीढियों से रह रहे हैं। हमने कई सरकारों को वोट देकर बनाया है। तो वर्षों से जिला पंचायत को अपने व्यवसाय के एबज में लाखो करोडों रुपए का टैक्स भी चुकाया है। लेकिन आज कुछ लोग कूटनीतिक तरीके से पीआईएल लगाकर नगला में निवास करने वाले 700 परिवारों को उजाड़ कर उन्हें बेघर करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। प्रदर्शन कारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर भी नगला वासियों से झूठा वादा कर उनकी अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय तत्कालीन विधायक राजेश शुक्ला के साथ सीएम धामी ने स्वयं नगला में आकर उन्हें नहीं उजड़ने देने का वादा किया था।

लेकिन आज हमारी सुनने वाला कोई भी नेता नहीं है। इधर बीते गुरूवार से नगला बचाओं अभियान के बैनर तले शुरू हुआ अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन शुक्रवार को भी दिनभर जारी रहा। लेकिन अधिकांश पूरब की महिलाएं शुक्रवार को अज्यूता का 24 घंटे का निर्जला ब्रत होने के बावजूद दिनभर धूप में धरने में बैठी रहीं। नगला में धरना प्रदर्शन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है। वहीं माहौल की गंभीरता को समझते हुए किसी भी अनहोनी से बचने के लिए जिला प्रशासन ने नगला में पुलिस व पीएसी की टीमें तैनात कर दी हैं। शुक्रवार को धरना प्रदर्शन करने वालों में राजनारायण यादव, राजेश चौबे, जेपी श्रीवास्तव, राजेन्द्र, भगत, रामू बिष्ट, सूरज, शारदा गुप्ता, ज्ञानवती, महेन्द्र बाल्मीकी, सुनील रोहेला, शन्नी शुक्ला, कुंदन सिंह, राजेश कुमार, तारा सिंह, हरीश पाण्डे, केवलानंद पाण्डे व सेवालाल समेत सैकड़ों पुरूष व महिलाएं रही।